Kalyug ka Mahadev, Balasaheb
इंसान की रूप मे कलयुग का महादेव है बालासाहेब,
इस युग से विराम लिए
अगले युग मे आएँगे बालासाहेब,
एक नये रूपमे, हर युग मे आएँगे बालासाहेब,
जिनकी उंगली की नोक पे तलवार की धार,
हर बोली मे है जिनकी शेर की दहाड़,
अंत नहीं हुआ उनका बस इस युग से विराम लिए,
कलयुग का महादेव है बालासाहेब
मानव की मृत्यु होती है, महा मानव की नहीं,
भगवान मंदिर, मशजीद हर जगह स्थान लेते है,
महा मानव इतिहास बना जाते है,
हर इंसान की दिल मे स्थान बना जाते है.
महा मानव की रूप मे,
कलयुग का महादेव है बालासाहेब,
सुनसान हुय हर राह, हर मंज़र,
जब बंद हुई उनकी आँखे,
थम गयी हवा, स्तब्ध हो गया हिन्दुस्तान,
जब बंद हुई थोड़ी देर उनकी सांसे,
वक़्त ही थम गया,
जब लिए विराम इस युगसे,
कलयुग का महादेव है बालासाहेब.
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